जिले में बच्चों के विकास एवं उनके स्वास्थ्य को बेहतर रखने के उद्देश्य को लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा लगातार आगंनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं के माध्यम से बच्चों के पोषण को बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। इस विशेष प्रयास से न सिर्फ बच्चों के पोषण स्तर में वृद्धि हुई है वरन बच्चों की माताओं को अपने बच्चों की आवश्यकतानुसार आहार देने की जानकारी भी हुई है, अब माताएं स्वयं ही अपने बच्चे का आंकलन कर पौष्टिक आहार आवश्यक मात्रा में देने लगी है, जिससे जिले में कुपोषण दर 27 से घटकर 15 प्रतिशत हो गई है, इस प्रकार कुपोषण दर में 12 प्रतिशत की कमी आई है।

कांकेर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत मनकेशरी निवासी सुमन देवांगन बताती है कि मेरा प्रसव 18 मार्च 2020 को जिला अस्पताल कोमलदेव में हुआ, उस समय मेरी बच्ची धानी देवांगन का वनज 02 किलो 200 ग्राम होने के कारण कुपोषण की श्रेणी में आ गई थी। धानी का कुपोषण दूर करने के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान योजनांतर्गत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सुपोषण दूतों के द्वारा प्रतिदिन शाम को पौष्टिक कोदी की खिचड़ी एवं रागी का हलवा घर में जाकर अपने समक्ष खिलाया जा रहा है, पोषण दूत के द्वारा उनकी मॉ सुमन देवांगन को स्वच्छता संबंधी जानकारी भी दी गई, जिससे मेरे बेटी धानी देवांगन का वजन  एक वर्ष पांच माह पूर्ण करने के पश्चात अब आठ किलो चार सौ ग्राम वजन बढ़ गया। इस प्रकार पोषण स्तर में सुधार आया अब वे सामान्य श्रेणी में आ गई है।

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