अंबा निदान एवं लक्ष्मी महिला स्व-सहायता समूह का गठन एक ही तारीख को हुआ। इन समूहों में महिला सदस्यों की संख्या 10-10 कुल 20 है।। यह समूह महासमुन्द जिले के बागबाहरा विकासखण्ड के ग्राम ढोड़ का है। दोनों समूहों को छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत् पुनर्गठन कर दोनों को एक साथ जोड़ा गया। योजनांतर्गत बैंक लिंकेज की राशि से उन्होंने टेंट हाऊस का काम किया। परंतु कोरोना काल के चलते शादी-ब्याह एवं अन्य कार्यक्रम न होने के कारण उनका यह व्यवसाय नहीं चला।

समूह के महिला सदस्यों ने आस नहीं छोड़ी। बिहान के अधिकारी-कर्मचारियों ने उन्हें आजीविका गतिविधि संबंधी प्रशिक्षण के दौरान उन्हें उनकी अपनी जमीन पर सब्जी-भाजी लगाकर लाभ कमाने का सुझाव दिया। इन दोनों समूह की महिलाओं के पास लगभग 7 एकड़ की कृषि भूमि एक ही स्थान पर होने के कारण उनको यह सुझाव पसंद आया। समूह की महिलाओं को पहले से खेती-बाड़ी का अनुभव था। उन्होंने बैंक लिंकेज की राशि से खेती-बाड़ी का काम शुरू किया। ये दोनों समूह की 20 महिलाओं ने मिलकर बैंक लिंकेज के 5 लाख रूपए की राशि से अपने पूरे 7 एकड़ की जमीन पर पारम्परिक विधि से विभिन्न प्रकार की मौसमी सब्जियां का उत्पादन कर उसे स्थानीय बाजार और आसपास नगर की मंडियों में बेचकर अच्छा खासा लाभ कमा रही है।

वे अपनी खेती-बाड़ी की सिंचाई के लिए कुॅए के पानी का उपयोग करती है इसके साथ ही सब्जी बाड़ी में जैविक खाद का उपयोग करती है। इससे उनकी सब्जियां ज्यादा आकर्षक और खाने में स्वादिष्ट होती है। वे स्वयं सब्जी की तोड़ाई और स्वयं सब्जी बेचने अपने गांव के अलावा आसपास के गांव और बागबाहरा के साथ ही महासमुन्द मंडी तक ले जाती है। पूरे 7 एकड़ में बोई गयी सब्जी से सीजन में एक दिन में 10 हजार तक बिक्री कर लेती है। अब हर महिला को साल भर अच्छी आमदनी हो जाती है। ये दोनों समूह की महिलाएं अपने गांव के साथ-साथ काम की तलाश में भटकने वाली अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स़्त्रोत है। उनकी सामुदायिक बाड़ी स्कीम कारगर साबित हो रही है। वे अपने इस व्यवसाय को बिहान योजना की मदद से और बढ़ाना चाहती है। सब्जी खेती कर रोजगार से जुड़ी महिलाएं उत्पादित सब्जी को बेचकर आत्मनिर्भर हो रही है। इसके साथ ही गांव के अन्य महिलाओं को भी रोजगार देने लगी है।

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