दुनियाभर में लाखों पुरुष प्रोस्टेट ग्लैंड के बढ़ने की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसा होने पर पेशाब पूरी तरह से नहीं हो पाती। वैज्ञानिकों ने इसके इलाज के लिए एक स्प्रिंगनुमा डिवाइस तैयार की है। इस इम्प्लांट को प्रभावित हिस्से में लगाकर समस्या को घटा सकते हैं। इस स्प्रिंग इम्प्लांट को विकसित करने वाली अमेरिकी कम्पनी जेनफ्लो के शोधकर्ताओं का दावा है कि शुरुआती ट्रायल में मरीजों में तेज रिकवरी देखी गई है और साइडइफेक्ट भी नहीं सामने आए।
क्या होता है प्रोस्टेट का बढ़ना?
प्रोस्टेट बढ़ने के मामले 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में सामने आते हैं। उम्र के इस पड़ाव पर हर तीसरे पुरुष में प्रोस्टेट बढ़ने से जुड़े लक्षण दिखते हैं। प्रोस्टेट का बढ़ना क्या होता है, अब इसे समझिए।मूत्रमार्ग की नली के जरिए पेशाब बाहर निकलता है, लेकिन इस हिस्से में मौजूद प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ़ने पर इस नली से पेशाब पूरी तरह से बाहर नहीं आ पाती। इसे ही आम भाषा में प्रोस्टेट का बढ़ना कहते हैं।ऐसा होने पर मरीजों में कई तरह के लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं। जैसे- यूरिन को निकलने में दिक्कत आना, बार-बार यूरिन करना, रात में कई बार यूरिन करने के लिए उठना।
स्प्रिंग इम्प्लांट क्या है और कैसे लगाते हैं
शोधकर्ताओं के मुताबिक, पेपरक्लिप के आकार के स्प्रिंग इम्प्लांट को निकिल और टाइटेनियम से मिलकर बना गया है। प्रोस्टेट के मरीजों को एनेस्थीसिया देने के बाद यह स्प्रिंग इम्प्लांट उस हिस्से में लगाया जाता है जहां समस्या होती है। यह स्प्रिंग मूत्रमार्ग के उस हिस्से को चौड़ा करता है जहां प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ी हुई ताकि पेशाब आसानी से निकल सके।इसे इम्प्लांट करने में 10 मिनट का समय लगता है। इम्प्लांट को एक पतली और लचीली ट्यूब (कैथेटर) की मदद से यूरेथ्रा के जरिए वहां लगाया जाता है, जहां पर दिक्कत है। इस ट्यूब में कैमरा लगा होता है जो इम्प्लांट को सही लोकेशन लगाने की जानकारी देता है।
दावा; सर्जरी का विकल्प है इम्प्लांट
ऐसे मामलों में मरीजों को रात में पानी कम पीने की सलाह दी जाती है। दवाओं और सर्जरी की मदद से इलाज किया जाता है। सर्जरी की मदद से प्रोस्टेट के बढ़े हुए हिस्से को काटकर हटाते हैं। सर्जरी के बाद पुरुषों में नपुंसक होने का खतरा रहता है। वैज्ञानिकों का दावा है, नए स्प्रिंग इम्प्लांट की मदद से इलाज करने पर ऐसा होने का खतरा नहीं रहता।
वर्ल्ड जर्नल ऑफ मेंस हेल्थ में पब्लिश रिसर्च कहती है, शुरुआती ट्रायल में यह इम्प्लांट सुरक्षित और असरदार साबित हुआ है। ब्रिस्टल के साउथमीड हॉस्पिटल में यूरोलॉजिकल सर्जन प्रो. राज प्रसाद कहते हैं, यह इम्प्लांट उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है जो सर्जरी नहीं करा सकते है या अनफिट हैं।