वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत् भूमिहीन आदिवासी और परम्परागत वनवासियों को भू-स्वामित्व का लाभ दिया गया है। जिले में वितरित किए गए 6 हजार से व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र धारकों में से साढ़े 5 हजार से अधिक लाभार्थियों को शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ शासन के मंशानुरूप वन अधिकार अधिनियम को ग्रामीणों के हित में आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य हो रहे है। जिले में वन अधिकार पत्र धारक हितग्राहियों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए उनकी आजीविका पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता प्राप्त हितग्राहियो को केवल वन अधिकार पत्र ही नहीं सौंपे गए बल्कि उनको वितरित भूमि पर शासकीय योजनाओं के कन्वर्जेंस से भूमि समतलीकरण एवं मेड़ निर्माण, मनरेगा के तहत कार्य, सिंचाई सुविधा, पशु पालन, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ उन्हें दिया गया है।

जिले में अब तक व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र प्राप्त करने वाले 617 हितग्राहियों के 191.350 हैक्टेयर भूमि में समतलीकरण एवं मेड़ बंधान का कार्य कराया गया। जिसके लिए 227.38 लाख रूपए स्वीकृत किए गए। मनरेगा के कन्वर्जेंस से 80 हितग्राहियों के 40 हैक्टेयर से अधिक भूमि में बकरी पालन एवं कुक्कुट पालन के लिए शेड निर्माण किया गया।

जिले में 472 हितग्राहियों के खेतों में सिंचाई सुविधा के लिए नलकूप, कुंआ, स्टाप डेम तथा आजीविका के लिए नाडेप टांका एवं वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन हेतु 620.40 लाख रूपये स्वीकृत किया गया। सिंचाई हेतु 368 हितग्राहियो के भूमि पर डबरी निर्माण के लिए 430.56 लाख रूपये और 84 लाभार्थियो के भूमि पर कुंआ निर्माण के लिए 185.78 लाख रूपये खर्च किया गया। जिससे उनकी भूमि में फसल उत्पादन बढ़े और उनकी आमदनी में वृद्धि हो। आजिविका के लिए 11 हितग्राहियों को उनकी भूमि में 1.54 लाख की लागत से नाडेप टांका निर्माण कर दिया गया तथा 9 हितग्राहियों को वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के लिए 2.5 लाख रूपए स्वीकृत किया गया।

स्थायी आजीविका साधन हेतु पशुपालन, कुक्कुट एवं बकरी पालन आदि के लिए 60 हितग्राहियों के भूमि पर पक्का प्लेटफार्म निर्माण 32.40 लाख की लागत से किया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 4 हजार 360 हितग्राहियों को आवास उपलब्ध कराया गया है।

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