तिब्बत के ग्लेशियर में 15 हजार साल पुरानी बर्फ में 33 वायरस मिले हैं। इनमें से 28 ऐसे नए वायरस हैं जिनके बारे में वैज्ञानिकों के पास भी जानकारी नहीं है। रिसर्च करने वाली अमेरिका की स्टेट ओहियो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है, जिस बर्फ में वायरस मिले हैं वो 15 हजार साल पहले बनी थी।यह बर्फ पश्चिम कुनलुन शान के गुलिया आइस कैप से ली गई थी, जो तिब्बती पठार में हैं। इन वायरस की जांच करने के बाद वैज्ञानिकों ने बताया है कि ये मिट्टी या पौधे में पाए जाते हैं।
वायरस की खोज करने वाली टीम का कहना है, वैज्ञानिकों की मदद से यह जानने की कोशिश की जाएगी कि ये वायरस इतनी शताब्दियों तक कैसे जिंदा रहे। ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चर झी-पिंग झॉन्ग का कहना है, यह रिसर्च माइक्रोबायोलॉजिस्ट और पुराजलवायु विशेषज्ञों ने मिलकर की है।
रिसर्चर झॉन्ग का कहना है, गुलिया आइस कैप से रिसर्चर्स ने 2015 में दो सैम्पल लिए थे। यह हिस्सा समुद्र के जलस्तर से 22 हजार फीट ऊपर था।ये ग्लेशियर धीरे-धीरे बने हैं। इसके बनने की प्रक्रिया में गैस, धूल-मिट्टी और कई तरह के वायरस बर्फ में इकट्ठे होते गए।साल दर साल यहां बर्फ की पर्त जमती चली गई, इन पर्तों की मदद से वैज्ञानिकों को पर्यावरण, जलवायु और सूक्ष्म जीवों को समझने में मदद मिली।ये बुरी से बुरी स्थिति में भी सर्वाइव कर सकते हैंसैम्पल्स में मौजूद 33 वायरस के जेनेटिक कोड की एनालिसिस की गई। इनमें से 28 ऐसे थे जो नए तरह के वायरस थे और पहली बार देखे गए थे। बाकी ऐसे वायरस थे जो आमतौर पर बैक्टीरिया को संकमित करते हैं। माइक्रोबायोलॉजिस्ट मैथ्यू सल्लिवन का कहना है, इनके जेनेटिक कोड से पता चलता है कि ये वायरस बुरी से बुरी स्थिति में भी सर्वाइव कर सकते हैं।
रिसर्चर्स का कहना है, फिलहाल पश्चिमी चीन के ग्लेशियर्स की पूरी तरह स्टडी नहीं की गई है। हमारा लक्ष्य यह बताना था कि पहले यहां का पर्यावरण किस तरह का था और वायरस भी इसी माहौल का हिस्सा थे।