राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म होने के नाते फिल्म में एंटरटेनमेंट की कमी नहीं है लेकिन तूफान को लेकर पिछले एक साल से जितने तूफान उठे थे, वो उतने ही शांत निकले. तूफान में तो इज्जत कमाने के लिए एक मवाली, बॉक्सर बनता है, शायद किसी और फिल्म में कोई और वजह आएगी लेकिन कहानी का फ्लो ऐसा ही रहेगा. वीकेंड है, देख लीजिये क्योंकि ताजा ताजा रिलीज होने वाले कॉन्टेंट में और कुछ इतना अच्छा दिख नहीं रहा है.

तूफ़ान में तूफानी कुछ है भी तो वो है फरहान अख्तर की किरदार की कद काठी पाने की मेहनत, बॉक्सिंग सीख कर एक प्रोफेशनल बॉक्सर बनने का उनका जूनून. फरहान ने मिल्खा सिंह के किरदार के लिए बॉडी बिल्डिंग में जितना पसीना बहाया था उस से कई गुना दम और पसीना तूफ़ान के किरदार अज़ीज़ अली बनने में लगा होगा. मिल्खा में वो दुबले थे लेकिन शरीर में मांसपेशियां में शक्ति नज़र आती थी, तूफ़ान में उन्होंने अपना वज़न बढ़ाया है, बॉडी भारी है और उस पर से मसल्स मास भी प्रोफेशनल बॉक्सर की तरह का है. इसके अलावा उनका किरदार कमज़ोर है. उन्होंने अभिनय में भी कुछ ख़ास काम नहीं किया है. इस से बेहतर अभिनय वो और फिल्मों में कर चुके हैं. फरहान से थोड़ी और उम्मीदें रहती हैं. उनकी सहजता इस फिल्म में नज़र नहीं आयी.

निजी जीवन में फरहान से राजनैतिक रूप से विपरीत विचारधारा रखने वाला परेश रावल यानि प्रभु का है. परेश, भारतीय जनता पार्टी से संसद का मार्ग पा चुके हैं. फिल्म में उनका किरदार मुस्लिमों से तकरीबन तकरीबन नफरत ही करता है. वजह निजी होती है लेकिन उसे पूरे समाज पर लागू करने की उनकी प्रवृत्ति साफ़ नज़र आती है. निजी जीवन में दो विपरीत राजनैतिक विचारधारा वाले अभिनेता, एक फिल्म में, एक निर्देशक के नेतृत्व में एक साथ काम करते हैं और अपने मतभेद को मनभेद में नहीं बदलने देते हैं. वर्तमान राजनीति से पीड़ित लोगों को ये बात फरहान और परेश से सीखनी चाहिए. परेश रावल का किरदार कोच वाले रौब के बजाये धर्म से उपजी व्यक्तिगत दुश्मनी से ज़्यादा प्रभावित नज़र आते हैं और लगभग पूरी फिल्म में उनके व्यवहार में कोई परिवर्तन भी नहीं आता. परेश रावल इस रोल में भी कन्विंसिंग लगते हैं, जैसे वो अपने हर रोल में लगते हैं.

राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म होने के नाते फिल्म में एंटरटेनमेंट की कमी नहीं है लेकिन तूफान को लेकर पिछले एक साल से जितने तूफान उठे थे, वो उतने ही शांत निकले. तूफान में तो इज्जत कमाने के लिए एक मवाली, बॉक्सर बनता है, शायद किसी और फिल्म में कोई और वजह आएगी लेकिन कहानी का फ्लो ऐसा ही रहेगा. वीकेंड है, देख लीजिये क्योंकि ताजा ताजा रिलीज होने वाले कॉन्टेंट में और कुछ इतना अच्छा दिख नहीं रहा है.

 

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