संस्कृति विभाग द्वारा 10 दिवसीय ‘‘आकार’’ पारंपरिक शिल्प कला प्रशिक्षण शिविर का आज समापन हुआ। महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय परिसर में यह शिविर 13 मार्च से  21 मार्च तक आयोजित था। विभाग द्वारा यह प्रशिक्षण शिविर विगत 21 वर्षों से आयोजित किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा पारंपरिक शिल्प व विविध कलाओं के संरक्षण, प्रचार-प्रसार, जागरूकता तथा रूचि जागृत करने के लिए आर्यभट्ट शोध संस्थान के सहयोग से संस्कृति विभाग द्वारा आकार- 2022 का आयोजन किया गया था।
शिविर में पारंपरिक शिल्प तथा विविध कलाओं जैसे बांस शिल्प, मधुबनी आर्ट, काष्ट कला, चित्रकला, रजवार भित्ती, गोदना आर्ट, नाटक, नृत्य, टेरोकोटा, जापान पेपर कटिंग, क्ले आर्ट, पैरा आर्ट, ग्लास पेंटिंग, ड्राई फ्लावर मेंकिंग, धान ज्वेलरी मेंकिंग और म्यूरल आर्ट आदि विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षणार्थियों द्वारा निर्मित कलाओं को प्रदर्शित भी किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक कलाओं को संरक्षित एवं विस्तार कर नई पीढ़ी को इन कलाओं से अवगत कराना है। जिससे हमारी कला सदैव जीवंत बनी रहे।
आकार 2022 के इस प्रशिक्षण शिविर में रायपुर के कुल 139 प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। शिविर में 18 विधाओं पर प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान विशेष रूप से छत्तीसगढ़ी पारंपरिक वाद्ययंत्रों का प्रदर्शन भी किया गया। आकार के इस आयोजन को विस्तार देते हुए रायपुर सहित चार संभागों बस्तर, सरगुजा, बिलासपुर और दुर्ग में भी आयोजित किया गया।

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